पंढरीची वारी विठु पंढरीचा। सावळा हा भावला। मनाच्या गाभाऱ्यात। भक्तिचा देव्हारा।।१।। आषाढीचा सोहळा। पंढरीस रंगला। भक्तांचा मेळा। वारीला चालला।।२।। टाळ मृदंग वीणा गाती। विठुचा जयकारा। रिंगणात रमला। भक्तगण हा सारा।।३।। पालखी हरीची। लेवुनी खांद्यावरी। डोईवर तुळस। घेवूनी चाले वारी।।४।। ना ऊन पावसाची। ना वेदनांची फिकीर। मैल मैल चालुनी। नाही थके वारकरी।।५।। उत्साह हरीचा। देहात संचारी। हरीच्या भेटिची। ओढ लावे मनी।।६।। वारी मधे गूंजे। नाद पांडुरंगाचा। कर्णमधुर गितातुनी। साद घाले भक्तिचा।।७।। चंद्रभागेच्या तीरी। घेई विसावा वारी। दर्शनाने हरीच्या। न्हाई भक्तिने वारकरी।।८।। मधु ......
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